07 नवंबर 2010

नौंवी-दसवीं की परीक्षा का प्रारूप बदला

नई दिल्ली। सीबीएसई ने 9वीं और 10वीं कक्षा में लागू सीसीई के तहत समेटिव मूल्यांकन के प्रारूप में परिवर्तन कर दिया है। नए प्रारूप में अंकों को घटाया गया है और परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्नों को भी शामिल किया गया है। प्रश्नपत्रों में बदलाव 2011 में होने वाली परीक्षा के लिए लागू कर दिया गया है। बोर्ड का मानना है कि ये बदलाव छात्रों के बेहतर मूल्यांकन करने के लिए किए गए है।

सीबीएसई ने सेमेटिव-टू की परीक्षाओं के लिए अंग्रेजी रीडिंग सेक्शन में पांच-पांच अंकों के बहुविकल्पीय प्रश्नों में बदलाव कर इनकी संख्या दो कर दी है, जबकि शेष दो में छात्रों की क्षमताओं का आकलन किया जाएगा। बोर्ड की ओर से स्कूलों को भेजी जानकारी के अनुसार चार प्रश्न एक कविता पर केंद्रित होगा। राइटिंग सेक्शन में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। व्याकरण में छात्रों का सही मूल्यांकन करने के लिए भी व्यापक परिवर्तन किए गए है। व्याकरण में अब तक चार-चार अंकों के पांच बहुविकल्पीय सवाल पूछे जाते रहे है, जबकि अब दो ही पूछे जाएंगे। इसमें भी खाली जगह भरने, वाक्य पूरा करने और संवाद पूरा करने से संबंधित सवाल होंगे। इसके बाद इस हिस्से में शामिल तीन अन्य सवालों के जरिये छात्रों की क्षमताओं का आकलन होगा। इनमें छात्रों को बॉक्स को सही ढंग से जोड़ना, संपादन करना व वाक्य को बदलने जैसे सवालों को हल करना होगा। बोर्ड का उद्देश्य मुख्यरूप से सही और बेहतर मूल्यांकन करना है। बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि इसी प्रारुप के आधार पर मार्च 2011 में होने वाली परीक्षाओंके प्रश्नपत्र तैयार किए जाएंगे। बोर्ड का कहना है कि स्कूलों को समय रहते इस संबंध में जानकारी दे दी गई है, लिहाजा वे इसी आधार पर छात्रों की तैयारी को अंजाम दें।

29 अक्तूबर 2010

बिना स्कूल गए आप ले सकते हैं 12 वीं की डिग्री

भागलपुर : अगर आपने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है और आप 12वीं करना चाहते हैं तो बिना स्कूल गए भी आप अपनी पढ़ाई चालू रख सकते हैं। नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपेन स्कूल के तहत यह संभव है।

वैसे तो पढ़ाई की यह व्यवस्था 20 वषरें से चालू है। लेकिन बहुत लोगों को इसका पता नहीं है। शिक्षा की इस व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिए टीएनबी कालेजिएट स्कूल प्रशासन ने पहल की है। आठवीं के बाद बिना स्कूल आए भी नौवीं से पढ़ाई की चाहत रखने वालों के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया है। ऑन लाइन नामांकन लेकर आप नौवीं से अपनी पढ़ाई चालू कर सकते हैं। नामांकन के लिए आप को कहीं जाने की जरूरत नहीं है। साथ ही घर बैठे सारी किताबें उपलब्ध हो जाएंगी। इंटरनेट पर लॉग ऑन कर आप नामांकन ले सकते हैं। टीएनबी कालेजिएट के प्राचार्य डॉ. राधेश्याम राय ने बताया कि इस दूरस्थ शिक्षा को लोग भुल चुके थे। इसके लिए उन्होंने जागरूकता अभियान चलाया है। नौवीं में नामांकन लेने पर एक हजार का खर्च आता है। इसमें से पांच सौ रुपए की पुस्तकें मुहैया कराई जाएगी। एनआईओएस के नाम से मानव संसाधन विभाग भारत सरकार की इस शिक्षा व्यवस्था से 12 वीं तक की डिग्री आसानी से ली जा सकती है। प्राचार्य डॉ. राय ने बताया कि इस बार उन्होंने क्षेत्रीय निदेशक से बात कर इसे विकसित करने का प्रयास किया है। परिणामस्वरूप अब तक 20 छात्रों ने दसवीं की पढ़ाई फिर से शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि यह शिक्षा वैसे छात्रों के लिए काफी फायदेमंद है जो स्कूल नहीं आ सकते है,ं लेकिन पढ़ाई को इच्छुक हैं। भागलपुर जिले के दस स्कूलों को इसका परीक्षा केन्द्र बनाया गया है। इसमें होली फैमिली स्कूल, माउंट असीसि, सरस्वती विद्या मंदिर चंपानगर, मारवाड़ी पाठशाला, राजकीय बालिका इंटर स्कूल, जिला स्कूल, मोक्षदा बालिका इंटर स्कूल, जगदीशपुर व इंटर स्कूल नवगछिया शामिल है। प्रथम ऑन लाइन प्रवेश की तिथि एक मार्च से 31 अगस्त व दूसरी एक सितंबर से 28 फरवरी है। इसकी परीक्षा साल में दो बार अप्रैल- मई व अक्टूबर-नवंबर में आयोजित की जाती है।

बायोटेक छात्र भी बन सकेंगे डॉक्टर

मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली । अब डॉक्टर बनने के लिए जीव विज्ञान (बायोलॉजी) की पढ़ाई अनिवार्य नहीं रह जाएगी। एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए पहली बार जैव प्रौद्योगिकी (बायो टेक्नोलॉजी) विषय को भी उपयुक्त मान लिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के मुताबिक इससे 11वीं में बायोटेक विषय लेने वाले मौजूदा छात्रों को तो फायदा होगा ही, एक अहम विकल्प उपलब्ध होने से इस विषय में छात्रों का रुझान भी बढ़ेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अब बायोटेक की पढ़ाई करने
वाले छात्रों को भी एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) के पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए योग्य माना जाएगा। हालांकि दाखिले के लिए अन्य सभी योग्यताएं पूर्ववत रहेंगी। इसके लिए बहुत जल्दी ही एमसीआइ की ओर से अधिसूचना जारी होने वाली है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव (मानव संसाधन) देबाशीष पांडा के दस्तखत के साथ ही एमसीआइ की इस अधिसूचना को अंतिम मंजूरी भी मिल गई है। अब तक एमसीआइ के दिशानिर्देश के मुताबिक उच्चतर माध्यमिक स्तर पर भौतिकी, रसायनशास्त्र के साथ जीव विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों को ही एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के योग्य माना जाता था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस फैसले से पहले सीबीएसई और दूसरे उच्चतर माध्यमिक बोर्ड व मेडिकल कॉलेजों की भी राय ली थी। सीबीएसई के अध्यक्ष विनीत जोशी ने दैनिक जागरण से बातचीत में इस कदम को छात्र, डॉक्टरी के पेशे और मेडिकल कॉलेजों, सभी के लिए फायदेमंद बताया है। जोशी के मुताबिक, बायोटेक पाठ्यक्रम जब सीबीएसई में शुरू हुआ था, उस समय छात्रों ने इसमें काफी दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन, उन्हें ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआइपीएमटी) में नहीं बैठने दिए जाने की वजह से इस विषय की मांग घटती गई।

23 अक्तूबर 2010

हर छात्र का भी होगा विशिष्ट पहचान नंबर

राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली । छात्र चाहे किसी प्राइमरी कक्षा का हो या फिर उच्च शिक्षा में किसी भी स्तर की पढ़ाई कर रहा हो, सबकी एक विशिष्ट पहचान होगी। इसके लिए छात्रों को एक विशिष्ट पहचान (यूनीक आईडी) नंबर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, पढ़ाई के दौरान एक से दूसरे शिक्षण संस्थान में दाखिला लेने या फिर पढ़ाई छोड़ने पर उनकी पढ़ाई का लेखा-जोखा रखने के लिए उनकी मार्कशीट व सर्टिफिकेट पर भी यूनीक आईडी नंबर दर्ज होगा। सूत्रों के मुताबिक विशिष्ट पहचान नंबर दिए जाने में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कई फायदे नजर आ रहे हैं। हर छात्र के पास विशिष्ट पहचान नंबर होने से पूरी पढ़ाई के दौरान उसकी एक अलग पहचान तो होगी ही, साथ ही जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर भी देश में कुल छात्रों का पूरा लेखा-जोखा रखा जा सकेगा। मार्कशीट, सर्टिफिकेट और स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में भी विशिष्ट पहचान नंबर दर्ज होने से छात्र के बारे में कभी भी कोई जानकारी हासिल की जा सकेगी।

22 अक्तूबर 2010

छात्रों की समस्याएं सुनने का निर्देश

भागलपुर । तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएन दुबे ने शुक्रवार को एक नया आदेश जारी किया। इस आदेश में उन्होंने सभी कॉलेज के प्राचार्यो, सभी विभाग के अध्यक्षों व कोर्स समन्वयकों को कहा है कि वे अपने स्तर से छात्रों की समस्याओं का निराकरण करें। समस्या का निदान नहीं होने व विवि स्तर से इसका निदान होने के स्थिति में प्राचार्य, कोर्स समन्वयकों व विभागाध्यक्ष स्वयं विश्वविद्यालय आकर उनसे मिलकर समस्याओं को रखें। सीधे तौर पर छात्रों को विश्वविद्यालय नहीं भेजे।

अपने नये आदेश में कुलपति डॉ. दुबे ने कालेज, विभाग के शिक्षकों को भी सीधे तौर पर मिलने पर रोक लगा दी है। अपने आदेश में उन्होंने कहा है कि वे अपने प्राचार्य, विभागाध्यक्ष के जरिये ही अपनी समस्याओं को रखें। कुलपति ने कहा विवि का कार्य ही छात्र हित को ध्यान में रखना है। वे छात्र हित को सर्वेपरि मानते हैं। इसलिए जो भी कार्य वे करते हैं छात्र हित में ही करते हैं। शुक्रवार को यह जानकारी विवि के पीआरओ डॉ. इकबाल अहमद ने दी।

विदित हो कि कई कॉलेज व विभागों के छात्र समस्याओं को लेकर सीधे विवि. चले आते हैं और यहां आकर हंगामा करते हैं। सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में हुए हो हंगामे के बारे में कुलपति को जानकारी मिली थी कि कुछेक शिक्षक ही हंगामे का बढ़ावा दे रह हैं। इसलिए उन्होंने यह आदेश जारी किया है।

अब 11वीं से करें मीडिया की पढ़ाई

नई दिल्ली। अगले सत्र से सीबीएसई के सभी स्कूलों में मीडिया कोर्स की पढ़ाई शुरू की जा रही है। 11वीं के छात्र मुख्य विषय के साथ वैकल्पिक विषय के रूप में मीडिया स्टडीज का कोर्स कर सकेंगे। सीबीएसई के मीडिया स्टडीज कोर्स को एनसीईआरटी ने तैयार किया है। इसके लिए पांच लेखकों की मदद ली गई है। इन्हीं में शामिल प्रो. सीपी सिंह ने बताया कि एनसीईआरटी के विशेषज्ञों ने चार महीनों तक स्कूलों के शिक्षकों से मीडिया स्टडीज कोर्स पर फीड बैक लेने के बाद इसे अंतिम रूप दिया है।

05 अक्तूबर 2010

गंगा पार भी होगी कानून की पढ़ाई

कानून की शिक्षा अब गंगा और कोसी के कछार में रहने वाले हर लोगों के लिए नवगछिया में सुलभ हो रही है। जहां कटिहार से लेकर खगडि़या तक तथा गंगा किनारे से लेकर कोसी पार तक के लोगों के लिए यह शिक्षा अब काफी आसान हो जायेगी। नवगछिया शहर के बीच शोभा देवी सर्राफ विधि महाविद्यालय की स्थापना हो चुकी है। जहां सत्र 2010-11 के लिए नामांकन कार्य प्रारंभ कर दिया गया। इस विधि महाविद्यालय में तीन साल तथा पांच साल के लिए डिग्री कोर्स की पढ़ाई होगी।

27 सितंबर 2010

छात्रों को उठाना चाहिए सुविधा का लाभ : कुलपति

भारती शिक्षा समिति भागलपुर के तत्वावधान में रविवार को तीन दिवसीय प्रांतीय विज्ञान मेला आंनदराम ढांढनियॉँ सरस्वती विद्या मंदिर में शुरू हो गया। मेला का का उद्घाटन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कृष्णानंद दुबे ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि वेद और विज्ञान को एक साथ जोड़ कर शिक्षा देने का काम भारती शिक्षा समिति कर रही है। यह समिति धन्यवाद का पात्र है। उन्होंने कहा कि आज बच्चे जिस सुविधा के साथ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ये बच्चों की खुशनसीबी है। क्योंकि पहले शिक्षा ग्रहण करने के लिए इतने साधन नहीं हुआ करते थे। इसका लाभ बच्चों को जरूर उठाना चाहिए।

इस मौके पर संभाग निरीक्षक दिलीप झा ने कहा कि भारती शिक्षा समिति संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है। किसी भी दूसरे संगठन के इतने विद्यालय पूरे देश में नहीं चल रहे हैं। अब तो मारीशस एवं नेपाल में भी यह संगठन शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा संगठन का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा का मॉडल खड़ा करना नहीं है। बल्कि संस्कार के साथ समाजिक चेतना को जगाने का कार्य भी संगठन द्वारा शिक्षा के जरिये किया जाता है। संभाग निरीक्षक श्री झा ने कहा कि संगठन का उद्देश्य ऐसी शिक्षा का दीप जलाना है, जिसमें बच्चों का सर्वागीण विकास हो। बच्चों को राष्ट्रीय चेतना, देशभक्ति एवं नैतिकता की भी शिक्षा दी जाती है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता छेदी लाल चौबे ने एवं आभार व्यक्त लीलाधर झा ने किया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक राणा प्रताप, कुलपति के सचिव डॉ. मथुरा दुबे सहित विद्या भारती के विभिन्न स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं व छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं। प्रांतीय विज्ञान मेला में 17 जिले के 106 विद्यालयों के 500 बच्चों ने भाग लिया है। कुलपति डॉ. दुबे ने मेले में लगाई गई प्रदर्शनी को भी देखा एवं बच्चों से पर्यावरण संरक्षण आदि मुद्दो पर बातचीत की।

25 सितंबर 2010

बीएड की पढ़ाई नहीं हो सकी शुरू

भागलपुर में घंटाघर चौक के पास स्थित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में 18 साल बाद भी बीएड की पढ़ाई पुन: शुरू नहीं की जा सकी। 1992 में बीएड घोटाले का जिन्न बाहर आने के बाद सरकार ने इस महाविद्यालय में बीएड व एमएड की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया था। आलम यह है कि महाविद्यालय पोस्ट ऑफिस बन कर गया है। विभागीय पत्रों के निबटारे के अलावा यहां और कोई भी कार्य नहीं होता है। वर्ष 1954 में भागलपुर में बीएड व एमएड की पढ़ाई के लिए इस कॉलेज की स्थापना की गई थी। कॉलेज परिसर में ही अभ्यर्थियों के लिए बीस कमरे का छात्रावास था। चार साल से जिला प्रशासन के आदेश से इस छात्रावास में उच्च विद्यालय कंपनीबाग का आवासीय विद्यालय चल रहा है। इस कॉलेज में कुल सात प्राध्यापक हुआ करते थे। फिलहाल यहां दो लिपिक श्याम सुंदर चक्रवर्ती व सहायक लिपिक संतोष कुमार सुमन पदस्थापित हैं। 5.6 हेक्टेयर में अवस्थित यह कॉलेज परिसर फिलहाल असमाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है। खगडि़या की जिला शिक्षा पदाधिकारी रीना कुमारी वर्तमान में कॉलेज की प्राचार्य की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। बीएड घोटाला होने के बाद सरकार ने ऐसे कॉलेजों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद भुवनेश्र्वर से मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया। प्राचार्या रीना कुमारी के प्रयास से पिछले साल राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की एक टीम ने कॉलेज की मान्यता पर मुहर लगाने के लिए यहां का जायजा लिया था। टीम ने कॉलेज को बीएड व एमएड की पढ़ाई के लिए उपयुक्त मानते हुए शिक्षकों की कमी को दूर करने का निर्देश दिया था। टीम के निर्देशानुसार यहां कुछ प्राध्यापकों को पदस्थापित भी किया गया। लेकिन साल भर से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब मान्यता संबंधी कोई जवाब भुवनेश्र्वर से नहीं आया तो पदस्थापित प्राध्यापकों को मुजफ्फरपुर स्थित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में पदस्थापित कर दिया गया। क्या कहती हैं प्राचार्या भागलपुर : शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्या रीना कुमारी का कहना है कि बीएड की पढ़ाई के लिए यह कॉलेज पूरी तरह उपयुक्त है। इसके उन्होंने प्रयास भी किया। लेकिन एनसीईटी नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन बोर्ड भुवनेश्र्वर द्वारा अब तक इसे मान्यता नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि एनसीईटी की जांच रिपोर्ट मानव संसाधन विकास विभाग को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय को असमाजिक तत्वों का चारागाह बनने से रोकने व यहां गलत तत्वों के घुसने पर पाबंदी को लेकर उन्होंने अपने स्तर से डीएम को पत्र लिख कर इससे अवगत करा दिया है।

24 सितंबर 2010

..और महंगी हो जाएगी शिक्षा

रुप कुमार
केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सार्वजनिक भागीदारी यानी प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत शिक्षा को निजी क्षेत्र के हवाले करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में कितना सुधार हो पाएगा, स्कूलों की व्यवस्था कितनी बेहतर हो पाएगी जैसे अनेक प्रश्न मुंह बाये खड़े हैं। इन्हीं मुद्दों पर हमने कुछ शिक्षाविदें की राय ली। इनमें अधिकतर शिक्षकों का कहना था कि इस व्यवस्था से गरीब के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। हां, अगर इस व्यवस्था पर पूरी तरह सरकारी नियंत्रण हो तो बात कुछ बन सकती है। ज्यादातर शिक्षक इस व्यवस्था के बदले स्कूलों को संसाधनों से लैस कर वहां की शैक्षणिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की वकालत की है। मारवाड़ी पाठशाला के गणित विषय के शिक्षक डॉ. महेश्र्वर प्रसाद यादव का कहना है कि शिक्षा का निजीकरण नहीं होना चाहिए। वे कहते हैं निजीकरण से शिक्षा का व्यवसायीकरण हो जाएगा। गरीब के बच्चों में अशिक्षा बढ़ जाएगी। पूंजीपतियों का बोलबाला हो जाएगा। फिलहाल शिक्षा की जो स्थिति है उसमें सुधार की जरूरत है। इसी विद्यालय के अंग्रेजी के शिक्षक लक्ष्मण प्रसाद सिंह का कहना है कि निजीकरण से शिक्षा व्यवस्था में मैनेजमेंट की पूर्ण भागीदारी हो जाएगी। इससे प्रबंधन की मनमानी बढ़ेगी। पैसे वालों की तूती बोलेगी। शिक्षक हरेराम गुप्ता का कहना है कि सरकारीकरण के कारण शिक्षा की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। मनमाने तरीके से शिक्षकों के तबादले से शिक्षण- व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हुई है। केन्द्र का यह प्रस्ताव स्वागत योग्य है। इससे प्रतियोगिता बढ़ेगी और मेधावी छात्रों को आगे आने का मौका मिलेगा। शिक्षक रंजन प्रसाद सिंह इसे शिक्षा हित में बेहतर मानते हैं। उनका विचार है कि सार्वजनिक भागीदारी होने से पब्लिक व प्राइवेट दोनों सेक्टर मजबूत होंगे। नवयुग विद्यालय के प्राचार्य चंद्रचूड़ झा का कहना है कि निजी संस्थानों की दखल बढ़ जाएगी। गरीब के बच्चों को शिक्षा हासिल करने में परेशानी होगी। इस व्यवस्था को लागू करने से बेहतर होगा सरकार सरकारी विद्यालयों की हालत में सुधार लाए। इसी विद्यालय के अर्थशास्त्र के शिक्षक प्रकाश चंद्र गुप्ता का कहना है कि इस व्यवस्था से पढ़ाई का स्तर ऊंचा होगा। लेकिन इसके लिए निर्धारित फीस के अलावा सिलेबस में एकरूपता होनी चाहिए। साथ ही सरकारी नियंत्रण में नियम-कानून के साथ व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए। राजकीय बालिका इंटर विद्यालय के समाज शास्त्र के शिक्षक संजय कुमार जायसवाल का कहना है कि निजीकरण शिक्षा में सुधार का बेहतर विकल्प नहीं है।